गंडक नदी के रास्ते नेपाल
से आये नक्सलियों के गोपालगंज जिले में प्रवेश करने और लगातार धटनाओं को अंजाम देने
से पुलिस की नींद उड़ गई हैं। पुलिस ने इन लोगों के धर पकड़ के लिए गंडक नदी में पिछले
कई दिनों से सर्च आपरेशन करने में जूटी हैं वहीं नक्सलियों ने जिले के बैकुण्टपुर थाना
के बगराधाट पर बननेवाले पुल निर्माण कम्पनी से रंगदारी नहीं मिलने से नाराज नक्सलियों
ने केसरिया थाना क्षेत्र में गोलीबारी की। इसी प्रकार मीरा टोला और सतरधाट मे भी नक्सलियों
ने कहर बरपाया। धटना के बाद नक्सलियों ने कई पर्चे भी गिराये थे और दिवाल पर लिखकर
गरीबों पर दबंगों का अत्याचार बंद करने का आवाह्न किया था। नक्सलियों की माने तो गंडक
नदी के रास्ते दियारा के बहरामपुर, सतरधाट, बंगराधाट जैसे
एक दर्जन इलाके उनके शरणस्थली हैं। जहां से कई जिले के सीमावर्ती इलाके पड़ते हैं और
पुलिस इस दुर्गम इलाके में आने से कतराती हैं। नक्सली गुरीले की टीम ने गंडक नदी के
किनारे बेखौप धुमते हैं और इस इलाके में गंडक नदी पर बन रहे पुल निर्माण कम्पनी से
खुलेआम लेवी वसूलते हैं। पुलिस को इसकी सुचना होने के बाद भी नक्सलियों पर अंकुश लगाने
में विफल हैं। हालंाकि पुलिस ने छापेमारी में दियारे के तराई क्षेत्रों से कई नक्सलियों
को गिरप्तार करने की दावा करती हैं।
बैकुण्टपुर थाने के पूर्वी हिस्सा
की भौगोलिक स्थिति को देखा जाय तो मुज्जफरपुर, छपरा, मोतिहारी के सीमावर्ती
क्षेत्र हैं और इस दियारे क्षेत्र में आने जाने के लिए गंडक नदी के रास्ते ही सुगम
हैं जिसका लाभ नक्सली उठाते हैं और नाव के सहारे इस क्षेत्र में प्रवेश कर धटनाओं को
अंजाम देते हैं। नक्सलियों के सेफ जोन इस लिए हैं , जहां दूर दूर तक गन्ने और खरही
फैला हुआ हैं जहां छिपने के लिए आसान हैं और इसी बीच नक्सलियों ने अपना रैन बसेरा बना
कर धटनाओं का अंजाम देते हैं। खासकर अगल बगल के गांव वाले भी इन लोगों की मदद करते
हैं। पिछले कई माह से गोपालगंज के बैकुण्टपुर, छपरा के पानापुर और मशरख,
मोतिहारी के केसरिया, मुज्जफरपुर के पश्चिमी क्षेत्रों में नक्सलियों
की गतिविधियां बढी़ हैं। जिसको लेकर इन तीनों जिले के पुलिस की नींद उड़ी हैं और लगातार
गंडक नदी में पुलिस का सर्च अभियान चल रहा हैं । वहीं गंडक नदी के तराई क्षेत्र में
नक्सली गुरीले टीम बनाकर धुमते हैं और नक्सल से जुडे लोगों के साथ लगातार बैठके कर
रहे हैं। संवाददाता से बेवाक बात करते हुए नक्सली गुरीले टीम के सदस्यों ने
कहा की जबतक सांमतियों का कहर बंद नहीं होगा तबतक हिंसा नहीं रूकेगा। गरीब जब थाने
जाते हैं तो बिना पैसे लिए एफआईआर नहीं होती हैं। पुलिस गरीबों को नक्सली बताकर जेल
भेजती हैं। यह कहां का इंसाफ हैं। कार्यशैली तो उन लोगों को बदलने की जरूरत हैं जो
सरकार में बैठे हैं। विधानसभा और ससंद चलाते हैं।
पुलिस भी इस चुनौती को
गंभीरता से लिया हैं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार गस्ती कर रही हैं। पुलिस
अधीक्षक अनिल कुमार सिंह की माने तो इस दियारे क्षेत्र में दूर दूर तक खरही और गन्ने
के होने के कारण पुलिस को नक्सलियों से लड़ने में कठिनाई तो हैं , फिर भी पुलिस इन
लोगों को धर पकड़ के लिए अभियान चला रखी हैं। पुलिस अधीक्षक ने नक्सलियों से मीडिया
के जरिये अपील किया की बुद्विजीवी होने के नाते आप सब समाज के मुख्यधारा में जुटने
और समाज को बढ़ाने में सहयोग करे तभी आपका भलाई हैं।
अखिलानंद मिश्र, गोपालगंज
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